लखनऊ नवाबों का शहर ऐतिहासिक इमारतों से भरा पड़ा है और इसका इतिहास बेहद दिलचस्प है। कुछ इमारतों को पुरातत्व विभाग ने बचा लिया लेकिन बहुत सी ऐस...
लखनऊ नवाबों का शहर ऐतिहासिक इमारतों से भरा पड़ा है और इसका इतिहास बेहद दिलचस्प है। कुछ इमारतों को पुरातत्व विभाग ने बचा लिया लेकिन बहुत सी ऐसी भी हैं जो अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं।
इनमें से ही एक है रुस्तमनगर लखनऊ का 1860 के आसपास बना मुगल साहेबा का इमामबाड़ा, जो बदहाली के दौर से गुजर रहा है और इसका जिक्र भी कम हुआ करता है ।
इस आलिशान इमामबाड़े को अवध के तीसरे बादशाह मोहम्मद अली शाह की बेटी फख्र-उन-निसा उर्फ उम्मत-उस-सुगरा ने बनवाया था। आप मुगल साहेबा के नाम से भी मशहूर थी इसलिए इस इमामबाड़े को इमामबाडा मुग़ल साहिबा कहा गया।
https://youtu.be/85BVT-f1H0k
कभी इस शानदार इमामबाड़े के बड़े-बड़े फाटक हुआ करते थे, जो अब खराब हो चुके हैं। इससे जुड़ी एक मस्जिद भी है जिसको मुहल्ले वालों ने आबाद तो कर रखा है लेकिन अब वो पुरानी शान बाकी नहीं, जो शाही दौर में हुआ करती थी।
पुराने तबर्रुक़ात में कुछ अलम और एक बेहद शानदार मिम्बर आज भी मौजूद है जिसके जोड़ का दूसरा मिम्बर हुसैना बाद इमामबाड़े में भी मजूद है । इस इमामबाड़े की वास्तुकला देखने योग्य है और इसकी दीवारों और छत पर महीन बेल-बूटे इसकी दीवारों और इसके फाटक की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं ।
इस इमामबाड़े के बाहर एक बड़ी हौज़ मौजूद है जिसमे अब पानी नहीं रहता । आज भी इस इमामबाड़े को संभालने की कोशिश की जाय तो यह फिर से उस पुरानी शान पे वापस लाया जा सकता है ।
इस इमामबाड़े की तहक़ीक़ में मदद करने के लिए Zulkifl Rizvi और Mukesh Chitravanshi का बहुत बहुत शुक्रिया जिनके साथ के बगैर यह तहक़ीक़ आसान नहीं थी।
एस एम मासूम
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